बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

जिंदगी रेत में नाव

ये खिला खिला गुलाब है या बहका हुआ ख्वाब।
क्या कहूँ जिंदगी तो बची ज्यों रेत में हो नाव!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें